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विधा : काव्य शीर्षक:वृद्धावस्था और एक ठूंठ वृक्ष का । देखा सुदूर एक ठूंठ वृक्ष का , जर -जर मैदान में अवचेत था ..! कभी ,बासंतिक छवि का आवरण, ओढ़ी थी ...